गुरुवार, 27 मार्च 2008

पिछड़ी जनजाति की संरक्षण सह विकास योजना का अनुमोदन (मंत्रिपरिषद के निर्णय)

पिछड़ी जनजाति की संरक्षण सह विकास योजना का अनुमोदन (मंत्रिपरिषद के निर्णय)
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज सम्पन्न हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रदेश में विशेष पिछड़ी जनजाति की संरक्षण सह-विकास योजना अनुमोदित की गई। भारत सरकार द्वारा इस योजना के लिये 10 करोड़ रुपये प्रदान कर दिये गये हैं।
मुख्यबिन्दु
• विशेष पिछड़ी जनजाति की संरक्षण सह-विकास योजना अनुमोदित
• सहरिया, बैगा, भारिया के लिए विशेष कार्य योजना6 ण्ण्
• शाला अप्रवेशी बालिकाओं के परिवार को क्षतिपूर्ति राशि
• स्थानीय बोली में पढ़ाने के लिये संविदा शिक्षक की नियुक्ति
• आंगनवाड़ियों में नर्सरी शिक्षिकाएं
• गुजरात राज्य के पेटर्न में आटे के फोर्टिफिकेशन की योजना
• प्रत्येक परिवार को बरसात के पूर्व छत मरम्मत के लिये सहायता
• संस्कृति के संरक्षण के लिये सांस्कृतिक मण्डलों को सहायता
इस राशि से मध्यप्रदेश के विशेष पिछड़ी जनजातियों सहरिया, बैगा एवं भारिया के लिये कार्य योजना तैयार की गई है। तीनों विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिये प्रदेश में चिन्हित ग्रामों की जनसंख्या के अनुपात में राशि प्रावधानित की जा रही है।
इसके अनुसार 10 करोड़ रुपये में से लगभग 65 प्रतिशत राशि सहरिया के लिये, 29 प्रतिशत बैगा एवं 5 प्रतिशत राशि भारिया के लिये प्रावधानित की गई है। इसमें शेष एक प्रतिशत राशि मुख्यालय स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन, अनुश्रवण एवं मूल्यांकन के लिये रखी गई है।
इस कार्य योजना को मुख्यत: छह सेक्टर में विभाजित किया गया है। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण, पेयजल, कृषि तथा सिंचाई, आवास तथा रोजगार हैं।
शिक्षा सेक्टर के अंतर्गत शाला अप्रवेशी बालिकाओं को शाला में भेजने पर परिवार को क्षतिपूर्ति की राशि दिये जाने का प्रावधान किया गया है। आगामी वर्ष 2008-09 में इस योजना के अंतर्गत शाला अप्रवेशी बालिकाओं को शाला में भेजने पर एक परिवार से एक बालिका को ही क्षतिपूर्ति राशि दी जायेगी। संशोधित क्षतिपूर्ति राशि नियमों के अनुसार ऐसी बालिकाएं जो पांचवी में पढ़ रही हैं उनकी माताओं को 100 रुपये प्रतिमाह प्रोत्साहन राशि तथा आठवीं में पढ़ रही छात्राओं की माता को 200 रुपये प्रतिमाह प्रोत्साहन राशि दी जायेगी।
सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि इन बालिकाओं को उनके पालक शाला में इसलिए नहीं भेजते हैं क्योंकि यह घरेलू आदि कार्य में उनकी सहायता करती हैं, छोटे भाई बहन की देखभाल करती हैं। राष्ट्रीय जनजाति आयोग ने भी ऐसी बालिकाओं के माता-पिता को क्षतिपूर्ति राशि दिये जाने की अनुशंसा की थी।
इसी प्रकार स्थानीय बोली में पढ़ाने के लिये एक अतिरिक्त संविदा शिक्षक वर्ग की व्यवस्था की जायेगी। इनकी नियुक्ति वर्तमान नियुक्ति वाली प्रक्रिया से मेरिट के आधार पर जनपद पंचायत द्वारा की जायेगी। विशेष पिछड़ी जनजाति क्षेत्र में संचालित छात्रावासों में पूरे वर्ष कोचिंग चलाई जायेगी, ताकि गणित, विज्ञान, अंग्रेजी जैसे विषयों में विद्यार्थियों को स्तर ठीक हो सके। इसके लिये प्रत्येक छात्रावास के लिये दो हजार रुपये प्रतिमाह का प्रावधान रखा गया है। संबंधित क्षेत्र में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को इस कार्य में लगाया जायेगा तथा उनमें दो हजार रुपये की राशि का कालखण्डों के मान से बंटवारा किया जायेगा।
विशेष पिछड़ी जनजाति क्षेत्रों में संचालित आंगनवाड़ियों में तीन वर्ष से छह वर्ष तक के बच्चों को उनकी ही बोली में उच्च स्तर की शाला पूर्व शिक्षा देने के लिये नर्सरी शिक्षिकाओं को रखा जायेगा। यह शिक्षिकाएं उसी समुदाय से होंगी तथा यह प्रयास किया जायेगा कि उनका मूल निवास भी उसी ग्राम पंचायत का हो। इन्हें एक हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जायेगा तथा यह मानसेवी नर्सरी शिक्षिका के रुप में जानी जायेगी।
स्वास्थ्य एवं पोषण कार्यक्रम के अंतर्गत सहरिया क्षेत्र के श्योपुर जिले के कराहल विकासखण्ड में शक्तिमान योजना लागू करने के लिये 16 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार से गुंजरात राज्य में लागू की गई फोर्टिफिकेशन योजना के पेटर्न पर मध्यप्रदेश में विशेष पिछड़ी जनजाति क्षेत्रों में आटे का फोर्टिफिकेशन किये जाने की यह योजना लागू की जा रही है। इसके माध्यम से माइक्रोन्यूट्रीएन्टस विद्यार्थियों को उपलब्ध होंगे, जिससे कुपोषण की समस्या दूर होगी। इस पर प्रति किलो 10 पैसे का व्ययभार आयेगा। प्रारंभिक चरण में छात्रावासों में प्रदाय किये जाने वाले आटे को फोर्टिफाई कराया जायेगा।
विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया क्षेत्र में बीमारियों के नियंत्रण के लिये शिवपुरी जिले में एक चलित स्वास्थ्य वाहन की व्यवस्था की जायेगी जिसके लिये 20 लाख रुपये की राशि प्रावधानित की गई है। यह योजना स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्रियान्वित की जायेगी। विशेष पिछड़ी जनजाति जहां बीमारियों का अधिक फैलाव है वहां सर्वेक्षण एवं शोध हेतु प्रतिष्ठित संस्थानों को सहायता उपलब्ध कराई जायेगी।
बरसात के समय प्रत्येक सहरिया परिवार को छत ठीक करने के लिये पांच हजार रुपये तक सहायता दी जायेगी। इसके लिये 65 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। यह सहायता समूह में चयनित ग्रामों के समस्त परिवारों को की जायेगी। संस्कृति के संरक्षण के लिये सहरिया क्षेत्र के 20 सांस्कृतिक मंडल, बैगा क्षेत्र के 30 और भारिया क्षेत्र के 6 सांस्कृतिक मण्डलों को प्रोत्साहन देने का प्रावधान रखा गया है। प्रत्येक मंडल को 10 हजार रुपये के मान से राशि उपलब्ध कराई गई है। देशज ज्ञान, कौशल एवं औषधीय जड़ी बुटियों एवं पौधों के अभिलेखीकरण के लिये भी राशि रखी गई है। पातालकोट में सीढ़िया बनाने एवं मरम्मत के लिये 5 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार श्योपुर स्थित सहरिया संग्रहालय के जीर्णोध्दार एवं उन्नयन के लिये चार लाख रुपये का प्रावधान किया गया है।
रोजगार के अधिक से अधिक अवसर पिछड़ी जनजातियों को उपलब्ध हो सके इसके लिये ड्रायविंग, सिक्योरिटी गार्ड, टेलरिंग, लाख उत्पादन आदि प्रशिक्षण आयोजित किये जायेंगे। छोटे-छोटे व्यवसायों के लिये प्रति हितग्राही 30 हजार रुपये के मान से राशि दी जायेगी।
पंचवर्षीय योजना अवधि में यह योजना श्योपुर, कराहल, विजयपुर, अम्बाह, जौरा, कैलारस, मुरैना, पहाड़गढ़, पोरसा, बदरवास, आरोन, बम्होरी, चांचोड़ा, गुना, राधोगढ़, दतिया, सेंवढ़ा (सहरिया विशेष पिछड़ी जनजाति) तामिया (भारिया जनजाति) एवं बीजाडांडी, बिछिया, नैनपुर, घुघरी, बजाग, ब्योहारी, बुढार, जैतहरी, करकेली, मानपुर विकासखण्डों में चलाई जायेगी।

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