मंगलवार, 25 मार्च 2008

विशेष राजस्व अभियान का पांचवा चरण शुरू

विशेष राजस्व अभियान का पांचवा चरण शुरू
ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण की प्रदेशव्यापी शुरूआत
25 मार्च 08/मध्यप्रदेश में राजस्व संबंधी मामलों का त्वरित गति से निराकरण करने के लिये आज से विशेष राजस्व अभियान शुरू हुआ। राजस्व विभाग के अन्तर्गत योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिये प्रदेशव्यापी अभियान का यह पांचवा चरण है जो 25 जून तक चलेगा।
विशेष राजस्व अभियान के पहले चार चरण प्रदेश में सफलतापूर्वक संचालित हो चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्व विभाग से संबंधित मामलों और भू-अभिलेखों के बड़े पैमाने पर त्वरित निराकरण होने से यह अभियान अत्यन्त लाभकारी सिध्द हुआ है। इस अभियान के बेहतर परिणामों को देखते हुए प्रदेश में अब इसका पांचवा चरण संचालित किया जा रहा है।
इस अभियान के पांचवें चरण की यह विशेषता होगी कि इसके अन्तर्गत ग्रामीणों को मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका प्रदान की जायेगी। ग्रामीण क्षेत्रों के रहवासियों को उनकी भूमि और भवन का मालिकाना हक देने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। इसके अतिरिक्त किसानों को नवीन एकीकृत भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिका भी वितरित की जायेगी।
विशेष राजस्व अभियान के इस चरण में ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण के कार्य की भी शुरूआत हुई। इसके अन्तर्गत पूरे प्रदेश में ग्रामीण रहवासी क्षेत्रों का सर्वेक्षण कार्य सम्पादित किया जायेगा। इसमें छोटे-बड़े शहरों की सीमाओं के अन्दर के ग्रामों को भी शामिल किया गया है। सर्वेक्षण कार्य में सबसे पहले आबादी भूमि पर बसे हुए एवं काबिजदार व्यक्तियों का सर्वे होगा। इसमें 'जो जहां है, जैसा है' के सिध्दांत पर आबादी का नक्शा तैयार किया जायेगा। इस आधार पर तैयार नक्शे के साथ-साथ प्रत्येक भूखण्ड (प्लाट) के काबिजदार (धारक) व्यक्ति#परिवार के नामों को भी सूचीबध्द किया जायेगा। इसके बाद स्थानीय जाँच#विभाग द्वारा तैयार मानकों के आधार पर आबादी भूमि के भवन#भूखण्ड के स्वामित्व का निराकरण होगा। स्वामित्व का निर्धारण होने के बाद धारक को मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका प्रदान की जायेगी। इस पुस्तिका में भूमि अथवा भवन के स्वामी द्वारा धारित भूमि अथवा भवन का क्षेत्रफल, चतुर्सीमा, ग्राम, गली, मोहल्ला, मजरा-टोला आदि सहित अन्य प्रासंगिक विवरण दर्ज होगा। अभी प्रचलित व्यवस्था में अभिलेख देखकर यह सुनिश्चित नहीं होता कि कौन सी भूमि का स्वामी कौन व्यक्ति है और उस भूमि का क्या आकार है। वस्तुत: ग्रामीण व्यक्तियों के पास आबादी क्षेत्र में आवासीय भूमि अथवा भवन आदि स्थल पर तो मौजूद होते हैं और उनकी इस अचल सम्पत्ति की कीमत भी होती है, परंतु उनके पास इसके स्वामित्व या अधिकार का कोई अभिलेख नहीं होता है। लेकिन अब इस मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका से इस समस्या का समाधान हो सकेगा। ग्रामीणों के पास 'मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका' होने से उनकी भूमि की खरीदी-बिक्री- रजिस्ट्री हो सकेगी। बैंकिंग इन्स्टीटयूशन ग्रामीण भूमि और भवन पर उसके स्वामी को उसकी आवश्यकता और पात्रता के अनुसार ऋण दे सकेंगे। कोर्ट-कचहरी में जमानत आदि हेतु आवास अधिकार पुस्तिका उपयोग में लायी जा सकेगी। इसके अतिरिक्त भी अन्याय बहुत से कार्यों में उक्त अधिकार पुस्तिका का उपयोग किया जा सकेगा।
राजस्व मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा है कि प्रदेश सरकार का यह प्रयास है कि सभी ग्रामीणों को मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका मिले ताकि वे भी शहरी नागरिकों के समान आवास धारण करने के समस्त प्रकार के लाभ अर्जित करने में सक्षम हो सकें।

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