सोमवार, 24 मार्च 2008

प्रदेश में विशेष राजस्व अभियान का पांचवा चरण 25 मार्च से 25 जून तक संचालित होगा

प्रदेश में विशेष राजस्व अभियान का पांचवा चरण 25 मार्च से 25 जून तक संचालित होगा
प्रदेशव्यापी ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण होगा, ग्रामीणों को मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका और किसानों को एकीकृत भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिका उपलब्ध करायी जायेगी
24 मार्च 08/राज्य शासन ने 25 मार्च से प्रदेश में विशेष राजस्व अभियान संचालित करने का निर्णय लिया है। राजस्व विभाग के अंतर्गत योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिये इस प्रदेशव्यापी अभियान का पांचवा चरण 25 जून तक चलेगा। इस अभियान के अंतर्गत ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण एवं ग्रामीणों को मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका प्रदान की जायेगी। इसके अतिरिक्त किसानों को एकीकृत भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिका भी वितरित की जायेगी।
प्रदेश में राजस्व संबंधी मामलों को त्वरित गति से निपटाने और राजस्व वसूली को बढ़ाने के लिये विशेष राजस्व अभियान के अब तक चार चरण संचालित किये गये हैं। राजस्व विभाग के मूलभूत कार्यों को क्रियान्वित करने के लिये चलाये गये प्रदेशव्यापी इस अभियान का पहला चरण 15 मार्च से 30 जून 2006 तक, दूसरा चरण 15 दिसम्बर 2006 से 28 फरवरी 2007 तक, तीसरा चरण 25 अप्रैल 2007 से 15 जून 2007 तक और चौथा चरण एक अक्टूबर से 31 दिसम्बर 2007 तक संचालित किया गया था। अब इस अभियान का पांचवा चरण 25 मार्च से 25 जून, 2008 तक चलेगा।
इस अभियान के अंतर्गत स्थायी सीमा चिन्हों का सत्यापन, मरम्मत योग्य एवं गुमशुदा सीमा चिन्हों का पुर्नस्थापन तथा भू-अभिलेख में इनकी प्रविष्टि करना, सीमांकन प्रकरणों का सिटीजन चार्टर में दी गई समयावधि के अनुसार निराकरण कराया जाना, खसरे के साथ-साथ नक्शों का अद्यतनीकरण कार्य, खसरा एवं बी-1 का मिलान कर सूची तैयार करना तथा उसका मिलान करना, खसरा, नक्शा एवं बी-1 की प्रतियां प्रदान करना, नक्शा नवीनीकरण तथा नक्शाविहीन ग्रामों के नक्शे तैयार कराना, शासकीय एवं निस्तार हेतु सुरक्षित भूमियों से अतिक्रमण हटाने तथा ग्रामीणों के निस्तार हेतु भूमि सुरक्षित रखने की कार्यवाही, नामांतरण एवं बंटवारा और भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिकाएं वितरित करने जैसे राजस्व संबंधी कार्य संपादित किये जायेंगे। राज्य शासन द्वारा सभी जिला कलेक्टर और संभागायुक्तों को इस अभियान के तहत उक्त बिन्दुओं पर कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं।
ग्रामीणों और किसानों की भूमि से संबंधित मूलभूत समस्याओं के निराकरण के लिये विगत चार वर्षों में संचालित किये गये विशेष राजस्व अभियान के अंतर्गत प्रभावी कार्यवाही की गई है। यही कारण है कि इस अभियान के सभी चार चरणों में राजस्व संबंधी मामलों के निराकरण में उल्लेखनीय उपलब्धि अर्जित की जा सकी है। पहले राजस्व संबंधी मामलों के निपटारे के लिये ग्रामीणजनों को तहसील कार्यालय जाना होता था। अब इस अभियान के तहत तहसील कार्यालय ही गांवों में पहुँचकर ग्रामीणों की समस्याओं का मौके पर ही निराकरण कर उन्हें राहत प्रदान करते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्व विभाग से संबंधित समस्याओं और भू-अभिलेखों के बड़े पैमाने पर त्वरित निराकरण होने से यह अभियान अत्यन्त लाभकारी सिध्द हुआ है। प्रदेश में इस अभियान के बेहतर परिणामों को देखते हुए अब इसका पांचवा चरण संचालित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका का वितरण और ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण
राज्य शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के भूमि और भवन के धारकों को आवास अधिकार पुस्तिका प्रदान की जायेगी। इस आवास अधिकार पुस्तिका में भूमि अथवा भवन के स्वामी द्वारा धारित भूमि अथवा भवन का क्षेत्रफल, चतुर्सीमा, ग्राम, गली, मोहल्ला, मजरा-टोला आदि सहित अन्य प्रासंगिक विवरण दर्ज होगा।
ाध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के ग्रामीण अंचलों में रहने वालों को उनकी जमीन का मालिकाना हक देने की महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह निर्णय करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। इस निर्णय के जरिए गांवों में रहने वाले किसानों, मजदूरों और अन्य लोगों को उनकी भूमि और भवन का मालिकाना हक मिलेगा जिससे वह अब तक वंचित थे। इसका लाभ यह होगा कि ग्रामीण अपनी भूमि और भवन पर बैंक से ऋण ले सकेंगे। अन्य कानूनी प्रक्रियाओं में भी उन्हें इसका लाभ मिलेगा।
-कमल पटेल,राजस्व मंत्री


वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में भू-राजस्व संहिता 1959 के अंतर्गत नागरिकों के रहवासी उद्देश्य हेतु आबादी भूमि सुरक्षित करने का प्रावधान मौजूद है। अभी प्रचलित व्यवस्था में अभिलेख देखकर यह सुनिश्चित नहीं होता कि कौन सी भूमि का स्वामी कौन व्यक्ति है और उस भूमि का क्या आकार है। वस्तुत: ग्रामीण व्यक्तियों के पास आबादी क्षेत्र में आवासीय भूमि अथवा भवन आदि स्थल पर तो मौजूद होते हैं और उनकी इस अचल सम्पत्ति की कीमत भी होती है, परंतु उनके पास इसके स्वामित्व या अधिकार का कोई अभिलेख नहीं होता है। लेकिन अब आवास अधिकार पुस्तिका से इस समस्या का समाधान हो सकेगा।
ग्रामीणों के पास 'आवास अधिकार पुस्तिका' होने से उनकी भूमि की खरीदी-बिक्री रजिस्ट्री हो सकेगी। बैंकिंग इन्स्टीटयूशन ग्रामीण भूमि और भवन पर उसके स्वामी को उसकी आवश्यकता और पात्रता के अनुसार ऋण दे सकेंगे। कोर्ट-कचहरी में जमानत आदि हेतु आवास अधिकार पुस्तिका उपयोग में लायी जा सकेगी। इसके अतिरिक्त भी अन्याय बहुत से कार्यों में उक्त अधिकार पुस्तिका का उपयोग किया जा सकेगा।
ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण, ग्राम का नक्शा, ग्रामीण भूमि और भवन का अभिलेख तैयार करने संबंधी यह संपूर्ण कार्य अत्यंत कठिन और जटिल है। फिर भी राजस्व विभाग इस कार्य को पूर्ण करने हेतु संकल्पित है। सरकार की मंशा है कि सभी ग्रामीणों को आवास अधिकार पुस्तिका मिले ताकि वे भी शहरी नागरिकों के समान आवास धारण करने के समस्त प्रकार के लाभ अर्जित करने में सक्षम हो सकें।
ग्रामीण क्षेत्र के भूमि और भवन मालिकों को आवास अधिकार पुस्तिका देने के लिये राजस्व विभाग द्वारा ग्रामीण आबादी के सर्वेक्षण और गांव का नक्शा तैयार करने संबंधी प्रक्रिया का निर्धारण किया गया है। किसी भूमि अथवा भवन पर स्वामित्व संबंधी विवाद होने की स्थिति में उसके निराकरण के लिये भी नियम तैयार किये गये हैं। विशेष राजस्व अभियान के अन्तर्गत ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण और मुख्यमंत्री आवास अधिकार पुस्तिका का वितरण किया जायेगा।
नवीन एकीकृत भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिका का वितरण
मध्यप्रदेश में किसानों को भू-अधिकार का पट्टा देने की योजना इसी वर्ष 26 जनवरी से शुरू की गयी है। वर्तमान में प्रचलित दो भागों में उपलब्ध भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिका के स्थान पर एकीकृत भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिका अब किसानों को प्रदान की जा रही है। इस नयी पुस्तिका में प्रचलित पुस्तिका की जानकारी के अलावा कुछ अन्य जानकारी एवं भूमि के नक्शे भी शामिल किये गये हैं। यह पुस्तिका किसानों को इस अभियान के अन्तर्गत प्रथम बार नि:शुल्क उपलब्ध कराई जायेगी।
राज्य शासन द्वारा सभी जिला कलेक्टर्स को नई पुस्तिकाए तैयार करवाकर निश्चित समयावधि में उनका वितरण कराने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं।

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