गुरुवार, 3 अप्रैल 2008

वन अधिकार अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाये - प्रमुख सचिव श्री रावत

वन अधिकार अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाये - प्रमुख सचिव श्री रावत
संजय गुप्‍ता(मांडिल) मुरैना ब्‍यूरो चीफ 03 मार्च08/प्रमुख सचिव आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण श्री ओ.पी. रावत ने कहा है कि अनुसूचित जाति और परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाये। साथ ही 14 से 20 अप्रैल तक होने वाली ग्रामसभाओं में वन अधिकार संबंधी दावे प्राप्त करने के प्रयास किये जायें। श्री रावत आज मुरैना में अधिनियम पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर संभागायुक्त श्री विश्व मोहन उपाध्याय, कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी, वन संरक्षक श्री आर.वी. सिन्हा, अपर संचालक अनुसूचित जाति विकास श्री ए.के. उपाध्याय, उपायुक्त आदिम जाति कल्याण श्री के.डी. त्रिपाठी तथा चम्बल संभाग के तीनों जिलों के वन, राजस्व, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
श्री रावत ने कहा कि भारत सरकार द्वारा उक्त अधिनियम को 31 दिसम्बर 07 से प्रभावी किया गया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी समस्त संबंधित अधिकारियों की बैठक लेकर इसका सर्वोच्च प्राथमिकता से क्रियान्वयन कर 30 सितम्बर 08 तक इससे संबंधित कार्यों को पूर्ण कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि समय-सीमा का विशेष ध्यान रखा जाये। वन अधिकार संबंधी दावे प्राप्त करने और उनका निराकरण करने के लिए ग्रामसभाओं का जागरूक करना तथा अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कराना उपखण्ड स्तरीय समिति की जिम्मेदारी में शामिल रहेगा। उन्होंने कहा कि ग्रामसभा के संकल्प से व्यथित व्यक्ति उपखण्ड स्तरीय समिति में याचिका कर सकेगा और उपखण्ड स्तरीय समिति के निर्णय की शिकायत जिला स्तरीय समिति में दर्ज होगी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में ग्रामसभा को सहयोग नहीं देने वाले अधिकारी के विरुध्द सीधे राज्य स्तरीय समिति में शिकायत दर्ज कराई जायेगी।
प्रमुख सचिव श्री रावत ने कहा कि अधिनियम के प्रावधान के अनुसार अनुसूचित जनजाति के मामले में उसका 13 दिसम्बर, 2005 से पहले का काबिज होना जरूरी है तथा अन्य परम्परागत वन निवासी के लिए कम से कम तीन पीढ़ियों तक प्राथमिक रूप से वन भूमि में निवास करना और जीविका के लिए उस पर निर्भग्र होना जरूरी है। अधिनियम के अनुसार अभ्यारण्य की भूमि के मामलों में भी अधिकारों को मान्यता देने का प्रावधान रहेगा। उन्होंने दावे प्राप्त करने के संबंध में ग्राम पंचायत सचिवों के प्रशिक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दावा प्रपत्र भरवाने में पूरी पारदर्शिता बरती जाये और इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये कि अधिनियम की आड़ में कोई बाहरी व्यक्ति लाभ न उठा ले। नोडल अधिकारियों की यह जिम्मेदारी होगी कि वे दावे प्राप्त न होने के कारणों का स्पष्ट खुलासा करें।
श्री रावत ने कहा कि 13वें वित्त आयोग ने अनुसूचित जनजाति विकास के लिए विशेष प्रावधान किया है। इसका लाभ उठाया जाये और वन निवासियों के लिए शिक्षा, बिजली, स्वास्थ्य, आवास, वनों के सुधार आदि से संबंधित विकास योजनाओं के प्रस्ताव तैयार कर भेजे जायें। उन्होंने बताया कि शासन ने तीन एकलव्य विद्यालय खोलने का भी निर्णय लिया है। इनमें आवास और शिक्षा की नि:शुल्क व्यवस्था रहेगी।
संभागायुक्त श्री विश्व मोहन उपाध्याय ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम की जानकारी देने के लिए यह संभाग स्तरीय कार्यालय आयोजित की गई है। अधिकारी इसका लाभ उठाने की पहल करें और किसी भी प्रकार की शंका का निसंकोच होकर निराकरण करायें।
प्रारंभ में कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। उपायुक्त आदिम जाति कल्याण श्री के.डी. त्रिपाठी ने पावर प्रजेन्टेशन के माध्यम से अधिनियम के प्रावधानों की विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला में अधिनियम के संबंध में अधिकारियों की शंकाओं का निराकरण किया गया। प्रमुख सचिव श्री रावत ने भी प्रश्न कर तथा उनके उत्तर भी स्वयं देकर अधिकारियों का अधिनियम के संबंध में ज्ञानवर्ध्दन किया। कार्यशाला का संचालन श्री देवेन्द्र तोमर ने तथा जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण श्री के.डी. पाण्डेय ने आभार व्यक्त किया।

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