गुरुवार, 3 अप्रैल 2008

आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता बम्हनीगांव (सफलता की कहानी)

आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता बम्हनीगांव (सफलता की कहानी)
संजय गुप्‍ता(मांडिल) मुरैना ब्‍यूरो चीफ 03 मार्च08/दमोह जिले का आदिवासी बहुल गांव है बम्हनी। प्रगति की बाट जोहते इस गांव में जिला गरीबी उन्मूलन परियोजना ने विकास का एक नया बीज बोया है। परियोजना के तहत इस गांव में 25 समूह और 46 उप योजनाएं स्वीकृत की गई हैं। इसमें से 36 उपयोजनाएं नवीन कूप निर्माण एवं लघु सिंचाई, नौ आमदनी मूलक तथा एक तालाब निर्माण की है। परियोजना में गांव को 23 लाख 80 हजार रूपये की राशि दी गई। इसके अलावा समूहों द्वारा दो लाख 20 हजार 978 रूपये की राशि 'अपना कोष' में जमा की गई। इन सबके चलते अब यह गांव आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ चला है। लोग खुश हैं कि साहूकारों के चंगुल से निजात मिलने लगी है।
गांव के भावी विकास की निरंतरता के लिए फरवरी 2006 में 'अपना कोष' की राशि के संचालन के लिए महिलाओं की ग्राम उत्थान समिति का गठन किया गया। समिति का बैंक में खाता खोला गया जिसमें दो लाख 29 हजार 164 रूपये की राशि हस्तांतरित की गई। इस राशि में से एक लाख 13 हजार 700 रूपये की राशि 10 वर्ष के लिए तथा 45 हजार 500 रूपये की राशि छह माह के लिए सावधि जमा कराई गई, 68 हजार 694 रूपये की राशि रिवाल्ंविग कोष के रूप में रखी गई। गांव में ज्यादातर आदिवासी परिवार रहते हैं जो अत्यंत गरीब हैं। इन परिवारों की महिलाओं ने अशिक्षित होते हुए भी 52 हजार 500 रूपये का लेन-देन किया है। ग्राम स्त्रोत व्यक्ति के माध्यम से ये अपनी समिति का लेखा-जोखा रखती हैं। अब तक न्यूनतम 500 रूपये से लेकर 2 हजार रूपये तक का सूक्ष्म ऋण, ज्यादातर कृषि आदान क्रय एवं आकस्मिक खर्चो के लिए उपलब्ध कराया गया है।
समिति की अध्यक्ष उर्मिला देवी बड़े गर्व से इस समिति को अपने घर एवं पूरे गांव की बैंक तथा साहूकारों से आजादी का साधन बताती हैं। सभी महिलाओं ने घर की छोटी-छोटी जरूरतों से 10 से 20 रूपये बचाकर अब तक 3 हजार 280 रूपये की बचत जमा की है। देखने में यह आंकड़े भले ही छोटे नजर आते हों किन्तु सहज ही ये महिलाओं की बचत करने की आदत में वृध्दि का परिचायक हैं।
समिति ने स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से कैम्प का आयोजन करवाकर नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण एवं दवाई वितरण, विगत वर्षाकाल में मृदा एवं जल कटाव को रोकने के लिए रतनजोत के पौधों का रोपण कर समाज के विकास में महिलाओं की भागीदारी होने का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया है।

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