शनिवार, 28 जून 2008

सहकारी बैंक मध्यम वर्ग और सीमित आय वाले लोगों के लिये वित्तीय मध्यस्थता की प्रणाली बने : राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटील

सहकारी बैंक मध्यम वर्ग और सीमित आय वाले लोगों के लिये वित्तीय मध्यस्थता की प्रणाली बने : राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटील
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटील ने कहा है कि सहकारी बैंक उन्नत प्रौद्योगिकी को अपना कर मध्यम वर्ग और सीमित आय वाले लोगों के लिये वित्तीय मध्यस्थता की प्रमुख प्रणाली बने। सहकारी बैंकों को स्व-सहायता समूहों खासकर महिलाओं को वित्त सहायता देने में विशेष रूचि लेना चाहिये। वे आज इंदौर में इंदूर परस्पर सहकारी बैंक के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रही थीं। समारोह में राज्यपाल डॉ.बलराम जाखड़ और मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान विशेष रूप से मौजूद थे।
राष्ट्रपति श्रीमती पाटील ने आगे कहा कि जब पूरी दुनिया में बैंकिंग सेक्टर मुश्किलों से गुजर रहा है तो हमें इससे सबक हासिल करना चाहिये। यह खुशी की बात है कि सहकारी बैंक इस मुश्किल से ज्यादा प्रभावित नहीं हुए हैं। अपने कामकाज में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करने वाले पारदर्शी बैंक लोगों की पसंद होते हैं। छोटे सहकारी बैंकों को बड़े वाणिज्यिक बैंकों से प्रतिस्पर्धा करने के लिये अपनी सेवाओं पर विशेष ध्यान देना चाहिये। शहरी सहकारी बैंक मध्यम वर्ग और कम आय वर्ग के लोगों को प्रभावी ढंग से बैंकिग सेवाएं दे सकते हैं। महाराष्ट्र और गुजरात में शहरी सहकारी बैंकों ने ऐसा करके दिखाया है। बैंकों में लोगों का विश्वास निवेश और साख बनाने का आधार प्रदान करता है।
सहकारी बैंकों को निजी क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंकों की तरह लोगों का विश्वास हासिल करना होगा। इसके लिये सहकारी बैंकों को पारदर्शी और प्रगतिशील सदस्यों का बोर्ड बनाकर जमाकर्ताओं का भरोसा बढ़ाना होगा। उन्नत तकनीक से कार्यकुशलता में वृध्दि होगी। समाज के गरीब तबकों और निचले तबके की जरूरतमंद महिलाओं को ऋण उपलब्ध कराकर उनके आर्थिक सशक्तिकरण में सहयोग दें। देश के प्रत्येक जिले और तहसील में शहरी सहकारी बैंकों के लिये अपार संभावनाएं हैं। इस तरह की छोटी सहकारी संस्थाओं को एक सूत्र में बांध कर बड़ी विशिष्ट संस्थाओं को तैयार करना होगा। ये संस्थाएं शहरी सहकारी बैंकों और वित्तीय बाजारों के बीच सम्पर्क स्थापित करके छोटे सहकारी बैंकों को सहयोग देने का कार्य करेगी। विभिन्न देशों में ऐसे कई माडल बैंक काम कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक इस पध्दति पर काम करे और देश के कोने-कोने में शहरी सहकारी बैंकों का एक व्यवहारिक नेटवर्क तैयार करे। उन्होंने कहा कि हमारे यहां सामाजिक वातावरण और सांस्कृतिक मूल्यों में सहकारी भावना बसी हुई है। हमें जरूरत ऐसे सहकारी नेतृत्व की है जो इस भावना का उपयोग करने में सक्षम हो। उन्होंने कहा कि इंदूर परस्पर सहकारी बैंक का कार्य क्षेत्र निरंतर बढ़ रहा है और यह अपना सामाजिक दायित्व भी बखुबी निभा रही है। इसके लिये बैंक से जुड़े लोगों को उन्होंने बधाई दी। राष्ट्रपति श्रीमती पाटील ने मुख्यमंत्री का द्वारा कहे गये इन शब्दों को कि, सहकारिता की हर बाधा दूर की जायेगी 'हम हैं न', का विशेष उल्लेख करते हुये कहा यदि मुख्यमंत्री ऐसा कह रहे हैं तो मध्य प्रदेश में सहकारी आन्दोलन को चिन्ता करने की जरूरत नहीं है।
राज्यपाल डॉ. बलराम जाखड़ ने कहा कि सहकारिता हमारे मन में बसी है। सहकारिता आन्दोलन हमारी परम्परा, संस्कारों और धर्म ग्रन्थों में है। उन्होंने कहा कि सहकारिता कमजोर की सहायता करने का पूरक है। सहकारिता को कामयाब बनाने के लिये सच्चाई, सेवा तथा निष्पाप होना चाहिये। जहां पाप हुआ वहां संस्था खत्म हुई। ऐसे वाक्यातों से सचेत रहना चाहिये। गलत काम करने वाली कुछ सहकारी संस्थाओं तथा बैंकों से आस्था डिगते हुए देखी गयी हैं। डॉ. जाखड़ ने कहा कि भारत में सहकारिता का क्षेत्र बहुत व्यापक है। आज देश में खेती की जोत छोटी होती जा रही है। सहकारिता से खेत बड़े हो सकते हैं। मिलकर काम करने की जरूरत है। सहकारिता केवल बैंक से ही नहीं बढ़ती, इसे हर क्षेत्र में होना चाहिये। सहकारिता जीवनदायनी है, इसमें स्पंदन है, बस जरूरत नेकनीयती की है। आपने कहा कि सहकारिता से हर खेत में हरियाली, हर क्षेत्र पर लाली तथा हर चेहरे में खुशहाली लायी जा सकती है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारी आंदोलन से व्यक्ति ही नहीं देश भी आगे बढ़ता है। सहकारिता भारत की माटी में है। वसुधैव कुटुम्बकम् सर्वे भवन्तु सुखिन:, संघ शक्ति पर विश्वास की भावना हमारी रगो में है। सहकारिता हमारी संस्कृति एवं परम्परा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सहकारिता के क्षेत्र में आने वाली हर बाधा दूर की जाएगी। सरकार सहकारी संस्थाओं के साथ कार्य करने को तैयार है। मुख्यमंत्री ने इंदूर परस्पर सहकारी बैंक की विशेष रूप से सराहना करते हुए बैंक के संचालक मण्डल को बधाई दी। आपने कहा कि इस बैंक ने अपने 100 वर्षों में दो विश्व युध्द देखे, देश बट गए, दुनिया बदली पर यह बैंक नहीं बदला। यहां स्नेह, प्रेम और आत्मीयता का भाव देखा जा सकता है। यहां तक कि इस बैंक ने भगवान इंद्रेश्वर महादेव के नाम को जीवित रखते हुए अपना नाम इंदूर भी नहीं बदला। उन्होंने खुशी जाहिर की कि बैंक में 25 प्रतिशत महिलाएं काम करती हैं। आपने कहा कि यह संख्या 50 प्रतिशत हो। मध्यप्रदेश में सरकार ने स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिये निर्धारित किये हैं। आपने राष्ट्रपति की ओर उन्मुख होते हुए कहा कि महामहिम इस प्रदेश में बेटियां को बोझ नहीं वरदान बनाया गया है। प्रदेश में जन्म लेने वाली बालिकाओं को लाड़ली लक्ष्मी बनाया जा रहा है। जन्म से लेकर शादी होने तक उन्हें शिक्षा और अन्य जरूरतों की पूर्ति के लिये बेटी के 21 वर्ष की आयु हो जाने पर उसक विवाह समय एक लाख 18 हजार रूपये देने की व्यवस्था की गयी है।
समारोह को संबोधित करते हुये सहकारिता मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने कहा कि सहकारिता आर्थिक जरूरतों को पूरा करने का बड़ा माध्यम है। सहकारिता से रोजगार के अवसर भी बढ़ाये जा सकते हैं । आपने कहा कि पिछले चार साढ़े चार वर्ष में सहकारिता के क्षेत्र में जितने कार्य हुये हैं उतने इससे पहले कभी नहीं हुये। प्रदेश में शासकीय प्रयासों से सहकारी बैंकों को घाटे से उबार कर लाभ की स्थिति में लाया गया है। प्रदेश में सहकारिता की भावना से प्रेरित होकर मुख्यमंत्री कन्यादान सहित अनेक योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। सहकारी क्षेत्र में प्रदेश को देश में अव्वल स्थान पर लाने के कारगर प्रयास किये जा रहे हैं।
समारोह को संबोधित करते हुये सांसद श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि विश्वास और सहयोग सहकारिता का मूलमंत्र है। इस मंत्र को लेकर ही सहकारिता आन्दोलन का विस्तार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र की संस्थाओं को मजबूत बनाने के लिये उनकी समस्याओं का प्राथमिकता से निराकरण जरूरी है।
समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती पाटील सहित अन्य अतिथियों को बैंक की मानद सदस्यता प्रदान की गयी। राष्ट्रपति सहित अन्य अतिथियों को स्मृति चिंह भेंट किये गये। प्रारंभ में राष्ट्रपति ने बैंक के शुभ संवत्सरी समारोह का दीप प्रज्जवलन कर उद्धाटन किया। उन्होंने इस समारोह के स्मृति पटल का अनावरण भी किया। समारोह में महापौर डॉ. उमा शशि शर्मा भी विशेष रूप से मौजूद थीं। प्रारंभ में इंदूर परस्पर बैंक की अध्यक्ष श्री सी.एम. डंगॉवकर ने स्वागत भाषण देते हुए बैंक की गतिविधियों की जानकारी दी। अंत में बैंक के मानसेवी सचिव श्री शेखर किबे ने आभार व्यक्त किया।

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