शुक्रवार, 27 जून 2008

गरीब की कोई जाति नहीं होती

गरीब की कोई जाति नहीं होती
सामान्य निर्धन वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए छात्रवृत्तियों सहित अनेक घोषणाएं, विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा ऋण गारंटी कोष स्थापित होगा, सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण सम्मेलन में मुख्यमंत्री श्री चौहान
संजय गुप्‍ता(मांडिल) मुरैना ब्‍यूरो चीफ 27जून08/मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि समाज से भेदभाव समाप्त करने और सामान्य वर्ग के निर्धनों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिये राज्य सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग निरन्तर काम करता रहेगा। श्री चौहान आज मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन की अध्यक्षता सामाजिक न्याय और महिला बाल विकास मंत्री सुश्री कुसुम महदेले ने की। इस अवसर पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री बाबूलाल कुशवाह भानपुर, राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष श्री रामेश्वर अखंड, राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष श्री जसवंतसिंह हाड़ा, प्रमुख सचिव सामाजिक न्याय श्री एम.के. राय और आयुक्त पंचायत और सामाजिक न्याय श्री मोहन राव भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में समृध्द और विकसित राज्य बनने की क्षमता है। राज्य सरकार का एकमात्र लक्ष्य प्रदेश को देश का अग्रणी और समृध्द प्रदेश बनाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सामान्य वर्ग के निर्धनों को भी शासकीय कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देना राज्य सरकार की प्रदेश को समृध्द और विकसित बनाने की मुहिम का ही हिस्सा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीबी की रेखा की वर्तमान परिभाषा से वे सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग शीघ्र ही निर्धनता की वास्तविक परिभाषा के निर्धारण के लिये विषय विशेषज्ञों की कार्यशाला आयोजित करेगा। श्री चौहान ने कहा कि निर्धनता की परिभाषा पर राष्ट्र व्यापी बहस जरूरी है।
श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में दीनदयाल अंत्योदय उपचार, मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा, गांव की बेटी, मुख्यमंत्री कन्यादान और लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजनाओं में जाति का भेदभाव समाप्त कर योजनाओं का लाभ सभी वर्ग के लोगों के लिये सुनिश्चित किया गया है। श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश देश का पहला प्रदेश है जहाँ गरीब मजदूरों के बच्चों के लिये पहली कक्षा से छात्रवृत्ति की योजना शुरू की गई है। इस योजना में छात्र को 50 रूपये और छात्रा को 75 रूपये की छात्रवृत्ति दी जाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीबी और बीमारी जाति देखकर नहीं होती। मध्यप्रदेश सरकार आम आदमी की भलाई के लिये प्रयासरत है फिर वह चाहे किसी वर्ग का हो या जाति का। उन्होंने कहा कि सबसे पीछे और सबसे नीचे के आदमी के दुख दूर किये बिना प्रदेश का विकास बेमानी है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सामान्य निर्धन वर्ग के माध्यमिक, हायस्कूल, हायर सेकेण्डरी और व्यावसायिक पाठयक्रमों में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं के लिए निर्धारित आय सीमा के अंतर्गत विभिन्न स्तर की छात्रवृत्तियों, पाठय पुस्तकों के नि:शुल्क वितरण, साइकिल वितरण और प्रोत्साहन राशि के प्रदाय आदि से संबंधित घोषणाएं की। श्री चौहान ने कहा कि सामान्य वर्ग के निर्धनों के लिए रोजगार संबंधी सहुलियतें आठ जुलाई को घोषित की जायेंगी। मुख्यमंत्री द्वारा आज की गई घोषणाओं पर अमल के लिए प्रमुख रूप से स्वामी विवेकानंद प्री-मेट्रिक और पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति योजना, सुदामा शिष्यवृत्ति योजना, वीरांगना लक्ष्मीबाई साइकिल योजना, डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम मेघावी छात्र प्रोत्साहन योजना और विक्रमादित्य नि:शुल्क शिक्षा योजनाएं आदि क्रियान्वित की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी घोषणाओं के लिए प्रथम अनुपूरक अनुमान में बजट प्रावधान किया जायेगा।
श्री चौहान ने सांदीपनी संस्कृत भाषा प्रसार योजना के अंतर्गत प्रत्येक विकास खण्ड में संस्कृत के अध्यापन के लिए संविदा शिक्षक वर्ग-3 का एक पद सृजित करने की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने निर्धन किन्तु प्रतिभावान और मेधावी विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए बैंक ऋण प्राप्त करने में सुविधा के लिए उच्च शिक्षा ऋण गारंटी कोष स्थापित करने की भी घोषणा की। राज्य शासन द्वारा स्थापित किया जाने वाला यह कोष मां सरस्वती अक्षय कोष के नाम से जाना जाएगा।
मुख्यमंत्री ने सामान्य निर्धन वर्ग की महिलाओं के लिए आचार्य विद्यासागर गौ-संवर्धन योजना लागू करने की भी घोषणा की। इस योजना के तहत 10 हजार महिलाओं को गौ-पालन से जोड़ा जाएगा। इसके लिए शुरूआत में प्रदेश के प्रत्येक संभाग से एक-एक जिले का चयन कर वहां की एक-एक हजार महिलाओं को उन्नत नस्ल की दो भारतीय गाय उपलब्ध करवाई जायेगी। हितग्राही महिलाओं को गायों की खुराक तथा दवाइयों के प्रदाय और उत्पादित दूध के विपणन की भी व्यवस्था की जाएगी।
सुश्री कुसुम महदेले ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य सभी वर्गों की समृध्दि और खुशहाली है। निर्धन वर्ग कल्याण आयोग का गठन और उसकी अनुशंसाओं पर त्वरित अमल सरकार की इसी सोच का प्रतिफल है।
आयोग के अध्यक्ष श्री बाबूलाल जैन ने कहा कि आयोग ने मात्र 100 दिन की अवधि में अपना पहला प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि सतत् निर्धनता का एक बड़ा कारण अशिक्षा है। यही वजह है कि आयोग ने अपने पहले प्रतिवेदन में शिक्षा संबंधी अनुशंसाओं को प्रमुखता दी। श्री जैन ने कहा कि प्रदेश में सामान्य निर्धनों का एक बड़ा समूह है जो विकास की बाट जोह रहा है। श्री जैन ने आयोग के गठन के लिये राज्य सरकार की प्रशंसा की और कहा कि आयोग की कोशिश है कि वह निर्धनता से संबंधी सभी पहलुओं पर समग्रता से छानबीन कर अनुशंसाएं करें।
प्रारंभ में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश भर से आये सामान्य वर्ग के निर्धनों और उनके कल्याण की कोशिशों में जुटे संगठनों के प्रतिनिधियों का पुष्प पंखुड़ियां बरसाकर स्वागत किया। श्री चौहान और अन्य अतिथियों ने माँ भारती के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित कर और दीप प्रज्जवलित कर सम्मेलन का शुभारंभ किया। सम्मेलन की शुरूआत में वंदे मातरम और अंत में जन-गण-मन का समवेत गायन हुआ। आभार प्रदर्शन आयोग के सचिव श्री ए.एन. तिवारी ने किया।
राज्य सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने अक्टूबर 2007 में राज्य सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग के गठन की घोषणा की थी। घोषणा के परिपालन में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 28 जनवरी 2008 को आयोग का गठन किया गया। पूर्व मंत्री श्री बाबूलाल जैन आयोग के अध्यक्ष मनोनीत हुए। आयोग ने 11 फरवरी 2008 से विधिवत कार्य प्रारंभ किया। सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी श्री ए.एन. तिवारी 14 फरवरी 2008 को आयोग के सदस्य सचिव नियुक्त किए गए। आयोग ने महज तीन माह की अवधि में काम पूरा कर मुख्यमंत्री श्री चौहान को अपना प्रथम प्रतिवेदन 15 मई 2008 को प्रस्तुत किया। आयोग के प्रतिवेदन पर विचार के लिए 22 मई 2008 को अपर मुख्य सचिव श्रीमती रंजना चौधरी की अध्यक्षता में प्रमुख सचिवों की समिति गठित की गयी। इस समिति को 6 जून 2008 तक अपना अभिमत देने के निर्देश थे। समिति ने 11 जून 2008 को मुख्यमंत्री श्री चौहान को अपना अभिमत प्रस्तुत किया।
आयोग ने अपना प्रथम प्रतिवेदन तैयार करने के लिए सात संभागीय मुख्यालयों का भ्रमण करने के साथ ही 29 जिलों में बैठकें ली। आयोग निर्धन लोगों से मिला और उनकी समस्याएँ सुनीं।

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