शनिवार, 21 जून 2008

भारतीय संस्कृति से विमुख हो रहे युवा वर्ग को राष्ट्रीय अस्मिता से जोड़ें

भारतीय संस्कृति से विमुख हो रहे युवा वर्ग को राष्ट्रीय अस्मिता से जोड़ें
दो दिवसीय राष्ट्रीय युवा साहित्यकार शिविर के शुभारंभ अवसर पर - संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा
संजय गुप्‍ता(मांडिल) ब्‍यूरो चीफ मुरैना 21जून08/जनसंपर्क एवं संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा है कि भारतीय संस्कृति से विमुख हो रहे युवा वर्ग को राष्ट्रीय अस्मिता से जोड़ना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी आज दिग्भ्रमित है और साहित्य के प्रति उनका रुझान घटता जा रहा है। श्री शर्मा ने कहा कि पाश्चात्य सभ्यता की चकाचौंध में भारतीय युवा को भटकने से बचाना होगा और उनमें भारतीय संस्कृति और राष्ट्र प्रेम की भावना को जाग्रत करना होगा। श्री लक्ष्मीकांत शर्मा आज यहां अखिल भारतीय साहित्य परिषद, म.प्र. द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय युवा साहित्यकार शिविर के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे।
भारतीय विद्या प्रतिष्ठान के सभागार 'नेमिशारण्य' में इस शिविर के प्रथम सत्र में 'संकटों से घिरी राष्ट्रीय अस्मिता और साहित्यकार का दायित्व' विषय पर हुई चर्चा में अध्यक्ष एवं मुख्य वक्ता के रुप में वरिष्ठ आलोचक एवं समालोचक डॉ. श्री कन्हैया सिंह उपस्थित थे। इस अवसर पर ख्यातिलब्ध आलोचक, गांधीवादी चिन्तक एवं साहित्कार प्रोफेसर रामेश्वर मिश्र 'पंकज' ने भी चर्चा में भागीदारी ली। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. प्रकाश बरतूनिया सदस्य म.प्र. लोक सेवा आयोग ने की।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ. कन्हैया सिंह ने कहा कि हम भाषा और संस्कृति के प्रति सजगता की सिर्फ बातें करते हैं, लेकिन इनके प्रति दुर्लक्ष समाप्त करने की पहल नहीं होती। उन्होंने हिन्दी साहित्य में आलोचना के पक्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने सुप्रसिध्द कविगण जायसी, तुलसी और कबीर की रचनाओं पर देश के प्रसिध्द आलोचकों और समालोचकों की विचार दृष्टि से भी अवगत कराया। उन्होंने कहा कि इन प्रसिध्द कवियों के साहित्य में अन्तर्निहित भारतीयलयता को पहचानने की जरुरत है। इस अवसर पर शिविर में भाग ले रहे चयनित प्रतिभागियों ने अपने आलोचनात्मक निबंधों की प्रस्तुतियां कीं।
इससे पहले डॉ. श्रीमती विनय षडंगी राजाराम, राष्ट्रीय मंत्री, अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने अतिथियों को पुष्प पादप भेंट कर उनका स्वागत किया। इस दौरान शिविर के संयोजक एवं सत्र के संचालक डॉ. रवि प्रकाश टेकचन्दानी, संचालक सिंधी भाषा एकांश (भारतीय भाषा विभाग) दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि हिन्दी के साथ- साथ सभी भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्यसृजन के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक चिन्तन आवश्यक है। कार्यक्रम में लब्ध प्रतिष्ठित कथाकार श्री नरेन्द्र कोहली, निदेशक साहित्य परिषद म.प्र. डॉ. देवेन्द्र दीपक तथा डॉ. कृष्ण चराटे विशेष रुप से उपस्थित थे।

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