गुरुवार, 20 मार्च 2008

होली के रंग : हर्बल गुलाल के संग

होली के रंग : हर्बल गुलाल के संग
20 मार्च 2008//मध्यप्रदेश के वन विभाग ने होली त्यौहार के लिए ईको फ्रेन्डली रंग तैयार किए है। टेसू के फूलों के प्राकृतिक रंग और सुंगध के अद्भुत मेल से बने विशेष हर्बल गुलाल, गुलाबी, पीले और हरे रंग में राजधानी में विभिन्न स्थानों पर विक्रय के लिये उपलब्ध है। 'पर्यावरण मित्र' हर्बल गुलाल की यह रंगबिरंगी सौगात भोपाल स्थित लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अंनुसंधान केन्द्र बरखेड़ा पठानी ने तैयार की है। यह केन्द्र मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा संचालित है।
विंध्य हर्बल्स श्रृखंला के अंतर्गत तैयार हर्बल गुलाल प्राचीन परंपरागत वैदिक पध्दतियों से बनाया गया है जिन्हें तत्कालीन राजपरिवारों द्वारा उपयोग किया जाता था। यह हर्बल गुलाल के जरिये इस बार पारम्परिक राजसी तरीके से होली खेलने का आनंद अब आम लोग भी उठा सकेंगे। यह रंग प्रदूषण रहित है साथ ही आर्सेनिक, जस्ता, सीसा, केडमियम, कैमेकिल तथा अभ्रक जैसे हानिकारक तत्वों से मुक्त है। इन रंगों को छुड़ाने में पानी का अपव्यय भी नहीं होगा जिससे पानी की बचत भी होगी। हर्बल गुलाल की यह खासियत है कि शरीर पर इनके प्रयोग से कोई विपरीत प्रभाव नहीं होता है।
मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज के प्रबंध संचालक श्री रमेश के. दवे ने बताया कि राजधानी भोपाल में हर्बल गुलाल विभिन्न स्थानों पर विक्रय के लिए उपलब्ध कराया गया है। हर्बल गुलाल संजीवनी आयुर्वेद केन्द्र प्रकाश तरण पुष्कर के सामने लिंकरोड नम्बर एक पर उपलब्ध है। मुख्य वितरक मेसर्स. हीलर फार्मा, महाराणा प्रताप नगर, भोपाल के प्रमुख आयुर्वेदिक दवा के विक्रय केन्द्रों पर भी ये रंग उपलब्ध है।
रंग-बिरंगे हर्बल गुलाल का उत्पादन म.प्र. के जिला वनोपज सहकारी संघ, उज्जैन द्वारा भी तैयार कर विक्रय की व्यवस्था की गई है।

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