मंगलवार, 18 मार्च 2008

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश में घड़ियाल संरक्षण प्रयासों की सराहना

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश में घड़ियाल संरक्षण प्रयासों की सराहना
राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य में घड़ियालों की मृत्यु दर में कमी
मुरैना 18 मार्च 08/अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वन्य जीव संरक्षण प्रयासों में सक्रिय वर्ल्ड कन्जर्वेशन यूनियन (आई.यू.सी.ए.) द्वारा प्रधानमंत्री को प्रेषित पत्र में मध्यप्रदेश में घड़ियाल मृत्यु आपदा प्रबंधन के लिए किये गये प्रयासों की सराहना करते हुए पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया गया है। राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य में घड़ियालों की मृत्यु दर में कमी आयी है। माह मार्च 2008 में अभी तक राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य में किसी भी घडियाल की मृत्यु की सूचना प्राप्त नहीं हुई है।
वर्ल्ड कन्जर्वेशन यूनियन के घड़ियाल विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष डा. ग्राहम वेब ने प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय का प्रभार होने के कारण प्रेषित पत्र में मध्यप्रदेश के घड़ियाल आपदा प्रबंधन की सराहना करते हुए कहा है कि राज्य सरकार की पहल के कारण ही अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर घड़ियालों की मृत्यु की रोकथाम के लिये आवश्यक सहयोग उपलब्ध कराया जा सका है। वर्ल्ड कन्जर्वेशन यूनियन ने चार अंतर्राष्ट्रीय क्रोकोडाइल वेटनरी विशेषज्ञ डा. एफ. डब्ल्यू. (फिट्स) हचजरमेयर, ऑनडरस्टेपूर्ट, साऊथ अफ्रीका, डा. पाओलो मार्टेली, ओसियन पार्क, हांगकांग, डा. सैमुअल मार्टिन, लॉ फ्रेमे ऑक्स क्रोकोडाईल, फ्रान्स तथा डा. ब्रॉयन स्टेसी, यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा, यू.एस.ए. का एक दल गठित कर, राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य भेजा गया। इस दल ने 28 जनवरी 2008 से 12 फरवरी 2008 तक विस्तृत अध्ययन किया था। दल द्वारा राज्य स्तर पर किये गये प्रयासों को उपयुक्त माना गया है। श्री वेब ने अपने पत्र में स्पष्ट लेख किया है कि भारत में घडियाल संरक्षण के लिये अपनायी गयी रणनीति के कारण ही इस आपदा का हल निकलने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
उल्लेखनीय है कि दिसम्बर 2007 के प्रारम्भ में राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य के अंतिम छोर पर 35 किलोमीटर क्षेत्रों में घड़ियालों की मृत्यु की घटनाएं प्रारम्भ हुई थी। यह क्षेत्र मध्यप्रदेश तथा उत्तर प्रदेश राज्य के द्वारा प्रबंधित है। गत 8 दिसम्बर को सर्वप्रथम उत्तर प्रदेश में आने वाले अभ्यारण्य क्षेत्र में घड़ियालों की मृत्यु की सूचना प्राप्त हुई एवं 9 दिसम्बर, 2007 को मध्यप्रदेश में भी घड़ियालों की मृत्यु होने लगी। राज्य शासन ने त्वरित कार्यवाही करते हुए देश एवं विदेश के विशेषज्ञों से सम्पर्क किया। मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक, मध्यप्रदेश डा. पी.बी. गंगोपाध्याय द्वारा 15 दिसम्बर 2007 को अभ्यारण्य क्षेत्र के भ्रमण के दौरान आवश्यक जानकारियां एकत्रित कर इन्टरनेट के माध्यम से विश्व के सभी घड़ियाल विशेषज्ञों के लिए एक अपील जारी की गई थी।
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वन महानिदेशक, भारत सरकार से अनुरोध किया गया कि घड़ियाल की लगातार मृत्यु होने से इस अत्यंत दुर्लभ वन्य जीव के विलुप्त होने का खतरा है। अत: राष्ट्रीय स्तर पर हस्तक्षेप किया जाना आवश्यक है ताकि देश के सभी विशेषज्ञों एवं संस्थाओं की सहायता उपलब्ध हो सके। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 7 जनवरी 2008 को राष्ट्रीय स्तर पर एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक, मध्यप्रदेश, राजस्थान तथा उत्तरप्रदेश तथा देश के घड़ियाल विशेषज्ञों के अतिरिक्त वन्यप्राणी संरक्षण से जुड़ी अशासकीय संस्था- विश्व प्रकृति निधि- भारत को भी आमंत्रित किया गया था। इस बैठक में महासचिव, विश्व प्रकृति निधि- भारत के नेतृत्व में घडियाल आपदा प्रबंधन दल का गठन किया गया।
घडियाल आपदा प्रबंधन के लिए गठित विशेषज्ञ दल के अनुसार घड़ियालों की मृत्यु किडनी खराब होने के फलस्वरूप विसेरल गाऊट के कारण हुई है। किडनी खराब होने का मुख्य कारण कोई जहरीला पदार्थ है, जिसके आस-पास के औद्योगिक प्रतिष्ठानों के कारण यमुना नदी में छोड़े जाने की संभावना व्यक्त की गई है। यह विषैला पदार्थ मछलियों के माध्यम से (जो घड़ियालों का मुख्य आहार है) घड़ियालों के शरीर में पहुंचा। इस बीच राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य में घड़ियालों की मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी आयी है। माह मार्च 2008 के दौरान किसी भी घड़ियाल के मृत्यु की सूचना प्राप्त नहीं हुई है।

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