बुधवार, 5 मार्च 2008

विकास के क्षेत्र में दस साल पर भारी सिध्द हुये चार साल

विकास के क्षेत्र में दस साल पर भारी सिध्द हुये चार साल
वित्तमंत्री राघवजी का बजट पर सामान्य चर्चा का उत्तर, दिवंगत मीसाबंदियों की पत्नियों को आधी सम्मान निधि, सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में मई-जून में भी मध्यान्ह भोजन, वित्त मंत्री द्वारा 2008-09 के बजट पर सामान्य चर्चा का उत्तर
म.प्र. के वित्त मंत्री राघवजी ने मंगलवार चार मार्च को राज्य विधानसभा में वर्ष 2008-09 के आय-व्ययक पर हुई सामान्य चर्चा का उत्तर देते हुए चार वर्षों में विकास और जनकल्याण के क्षेत्र में सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित कर विपक्ष के विभिन्न आरोपों तथा आक्षेपों को सिलसिलेवार और तर्कपूर्ण उत्तर दिये।
वित्त मंत्री ने कहा कि विगत चार वर्षों में मध्यप्रदेश ने विकास की नयी ऊँचाइयों को छुआ है और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पुरस्कार हासिल किये हैं। हाल ही में प्रदेश को पर्यटन के क्षेत्र में चार राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। 'इंडिया टुडे ' के सर्वे में प्रदेश को तीन वर्षों में सबसे तेज बढ़ने वाला राज्य बताया गया है।राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना में प्रदेश अव्वल है। ई-गवर्नेन्स में भी प्रदेश को गोल्डन-आईकॉन अवार्ड मिला है। इस दौरान प्रदेश के खिलाड़ियों ने विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 270 पदक जीते है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में लगातार चार वर्षों से प्रदेश प्रथम स्थान पर है।
वित्त मंत्री ने पिछली सरकार के दस वर्षों के कार्य तथा बजट प्रावधानों का तुलनात्मक विवरण देते हुए बताया कि पिछली सरकार ने अपने दस वर्ष के कार्यकाल में सड़क पर 2960 करोड़ रूपए खर्च किये, जिसकी तुलना में वर्तमान सरकार द्वारा 8743 करोड़ रूपए खर्च किये गये। उन दस वर्षों में सिर्फ 11011 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया, वही विगत चार वर्षों में 43,066 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ। चालू वर्ष में ही सड़कों पर 3270 करोड़ रूपए खर्च किये जा रहे हैं।
बिजली के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों की जानकारी देते हुए श्री राघवजी ने बताया कि वर्ष 1993 से वर्ष 2003 तक सिर्फ 60 मेगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता निर्मित की गयी, जिसकी तुलना में विगत चार वर्षों में 2936 मेगावॉट क्षमता निर्मित की गयी। सिंचाई की चर्चा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि विगत चार वर्षों में प्रदेश में 4.80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता निर्मित की गयी।
श्री राघवजी ने कहा कि पिछली सरकार के अंतिम वर्ष में जहॉ 125 दिन का ओवर ड्राफ्ट था वही बीते चार वर्षों में एक भी दिन का ओवर ड्राफ्ट नहीं रहा। ऐसा 13 वर्ष बाद हुआ है। इसी तरह अर्थोपाय अग्रिम तक नहीं लिया गया, यह स्थिति 32 वर्ष बाद बनी है। स्कूल भवनों की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि विगत चार वर्षों में 23,713 नये प्राथमिक शाला भवनों, 15505 मिडिल स्कूल भवन तथा स्कूलों में 47869 अतिरिक्त कक्षों का निर्माण किया गया।
विपक्षी सदस्यों द्वारा केन्द्र धन की धन राशि से सरकार चलने के आरोपों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार 40 हजार करोड़ रूपए खर्च कर रही है, जिसमें सिर्फ 6,600 करोड़ रूपये केन्द्र का अनुदान है। इससे ज्यादा राशि मिलनी चाहिए थी, लेकिन नहीं मिली है।
बजट में कृषि कार्यों के लिए अपर्याप्त प्रावधान के आरोपों का जबाब देते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि 15 हजार करोड़ के प्लान बजट में 5200 करोड़ रूपए सिर्फ कृषि तथा संबध्द क्षेत्र के लिए रखे गये हैं। कृषि के लिए 1250 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है, जबकि सिंचाई के लिए बजट में 1800 करोड़ रूपए रखे गये हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में सिंचाई संबंधित कार्यो के लिए बजट में 2 हजार करोड़ का प्रावधान है। किसानों के कृषि ऋण 7 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किये जाने के लिए 50 करोड़ रूपए का प्रावधान है। इन सभी का लाभ किसानों को मिलेगा।
बुन्देलखंड में सूखे की चर्चा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के बजट में सूखा राहत, पेयजल तथा चारे की व्यवस्था के लिए 619 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। बुन्देलखण्ड में सिंचाई पैकेज के लिए 6 हजार करोड़ की योजना तैयार है। इससे बुन्देलखंड में सिंचाई का प्रतिशत 13 से बढ़क़र 44 हो जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में सकल ऋण भार लगभग चार प्रतिशत कम हुआ है। वर्ष 2003-04 में यह 40.64 प्रतिशत था, जबकि वर्ष 2008-'09 में यह 36.60 प्रतिशत है। रिजर्व बैक ऑफ इंडिया द्वारा राज्यों के बजट वर्ष 2007-08 के अध्ययन प्रतिवेदन के अनुसार मध्यप्रदेश का आयोजना पूंजीगत व्यय सकल घरेलू उत्पाद का 4 प्रतिशत से अधिक है। इस आधार पर प्रदेश अग्रिम पंक्ति में है।
वित्त मंत्री ने बताया कि श्री सुन्दरलाल पटवा की सरकार ने प्रदेश पर 5 हजार करोड़ का ऋण भार छोड़ा था। जबकि वर्ष 1993-2003 तक की तात्कालीन सरकार में यह बढ़क़र 35 हजार करोड़ हो गया। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में यह 50 हजार करोड़ हुआ है। इस प्रकार विगत चार वर्षों में ऋण भार डेढ़ गुना भी नहीं बढ़ा, ज़बकि वर्ष 1993-2003 तक की सरकार में यह 7 गुना बढ़ा था। वर्ष 2003-04 में राज्य की कुल राजस्व प्राप्तियों से ब्याज भार 25.34 प्रतिशत था जबकि वर्ष 2008-09 में अनुमान 13.05 प्रतिशत है।
आयोजना व्यय की चर्चा करते हुए श्री राघवजी ने बताया कि वर्ष 2001-02 में आयोजना खर्च 75 प्रतिशत था, जिसे इस सरकार ने बढ़ाक़र 95 प्रतिशत किया है।
वित्त मंत्री ने खेद व्यक्त किया कि इस वर्ष के बजट में अनेक अभिनव योजनाओं की घोषणा की गयी है, जिनका विपक्ष ने उल्लेख तक नहीं किया है। इस संदर्भ में उन्होंने ''सुदामा छात्रवृत्ति'' ''कुशाभाऊ ठाकरे अंशदायी पेंशन योजना, ''जयप्रकाश सम्मान'' योजना का विशेष रूप से उल्लेख किया।
वित्त मंत्री ने घोषणा की कि मीसाबंदी के साथ डी.आई.आर. भी शामिल रहेगा। दिवंगत मीसाबंदियो की पत्नियों को उनके जीवनपर्यन्त आधी सम्मान निधि दी जाएंगी। साथ ही, सूखा प्रभावित क्षेत्रों में माह मई और जून में भी मध्यान्ह भोजन योजना लागू रहेगी। उन्होंने यह भी घोषणा की कि शराब पर जो टेक्स बढ़ाये गये हैं, उनमें राजस्व का नुकसान न करते हुए युक्तियुक्तकरण किया जा सकेगा।
वित्त मंत्री ने बताया कि महंगाई कम करने के लिए राज्य सरकार ने अपने स्तर पर प्रयास किये हैं । अनाज, दाल, दलहन, गुण, शक्कर पर एक पैसे का भी ''वेट'' नहीं लगाया गया है। यदि इन पर टेक्स लगाया जाता तो प्रदेश सरकार को 12 हजार करोड़ रूपए मिल सकते थे, लेकिन हमने इसका लालच नहीं किया। उन्होंने कहा कि बजट से डीजल पर एक प्रतिशत टेक्स कम किया गया है, जबकि केन्द्र ने इसे बढ़ाया है। पन्द्रह-बीस सालों में पहली बार स्टाम्प डयूटी आधा प्रतिशत कम की गयी है, जिससे 90 करोड़ रूपए का नुकसान होगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि 24 वस्तुओं पर ''वेट'' समाप्त कर दिया गया है जबकि नौ वस्तुओं पर इसे कम किया गया है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र को जोड़ने वाले दूरस्थ मार्गों के लिए बसों में 120 रूपए प्रति सीट प्रतिमाह की दर प्रस्तावित की गयी है।

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