सोमवार, 3 मार्च 2008

दिहाड़ी मजदूर अब करने लगे हैं गुड़ का कारोबार

दिहाड़ी मजदूर अब करने लगे हैं गुड़ का कारोबार
राज्य सरकार की जिला गरीबी उन्मूलन परियोजना ने रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर पन्ना जिले के ग्रामीण जीवन की तस्वीर बदल दी है। कल तक जो लोग गांव में दिहाड़ी मजदूरी करके अपने परिवार का गुजारा करते थे और ज्यादातर समय बेरोजगार ही रहते थे, वे आज गुड़ निर्माता की हैसियत से न केवल अपना गुड़ कारोबार जमा चुके हैं, बल्कि लोगों की नजरों में प्रतिष्ठित भी हो चुके हैं।
पन्ना जिले के पिष्ठा गांव के अनुसूचित जाति समुदाय के सगे भाई रमेश, संतोष, रामकिशोर और विश्वनाथ गांव में मजदूरी करते थे। वे कई साल से मजदूरी करके अपने परिवार की आजीविका चला रहे थे। ग्रामीण गरीब परिवारों को गरीबी से मुक्त करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने डीपीआईपी के तहत सभी पांच भाइयों का बजरंग समहित स्वसहायता समूह बनाकर गन्ना, कोल्हू और थ्रेसर के लिये 67 हजार 925 रूपये तथा गन्ना की सिंचाई के लिए कुआं खुदाई के लिये 29 हजार 300 रूपये दिए गए।
अपना गुड़ निर्माण का कारोबार शुरू करने के महज कुछ साल के भीतर ही ये पांचों भाई मकान बनवाने, बहन की शादी, दो बीघा जमीन और कतराई मशीन खरीदने तथा ठेके पर ली गई बीस बीघा जमीन पर खेतीबाड़ी शुरू करने में कामयाब हो गये। इन भाइयों की पत्नियां कामकाज में इनकी मदद करती हैं। गुड़ उत्पादन में इनका गुड़ अपना विशेष स्थान बनाने की दिशा में अग्रसर है। इन भाइयों ने अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए अपने आपको सिर्फ गुड़ निर्माण तक ही सीमित नहीं रखा। उन्होंने गुड़ निर्माण के साथ-साथ अन्य कृषि उत्पादों को भी लेना शुरू किया।
ये पांचों भाई गुड़ बनाने के लिए अपनी पांच बीघा जमीन में गन्ना उगाते हैं तथा गुड़ बनाने के लिए दूसरों से भी गन्ना खरीदते हैं। सीजन में करीब 100 क्विंटल गुड़ बना लेते हैं। जो लोग इनके थ्रेसर में अपना गन्ना पिराते हैं, उससे भी उन्हें कमाई होती है। ये लोग गेंहू, चना और मटर कतराई से भी कमाई करते हैं। इन भाइयों में से एक संतोष बताते हैं कि डीपीआईपी योजना के तहत शुरू हुआ गुड़ निर्माण का कार्य उनके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रहा है। अब तक मजदूर होने के कारण लोग उन्हें अपने पास से भगा देते थे, लेकिन गुड़ निर्माण का कारोबार शुरू होने से यही लोग हमें इज्जत से अपने बगल में बैठाते हैं। उनका कारोबार उन्हें हर साल दो लाख रूपये से अधिक कमाकर दे रहा है। अपनी कतराई मशीन की ओर इशारा करते हुए संतोष ने कहा कि गुड़ के कारोबार की कमाई के पैसे से इसे खरीदा गया है। इससे भी उन्हें कमाई हो रही है।

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