शनिवार, 8 मार्च 2008

कुएं की गहराईयों ने दी जीवन को ऊँचाईयाँ (कपिल धारा योजना)

कुएं की गहराईयों ने दी जीवन को ऊँचाईयाँ (कपिल धारा योजना)
यह कहानी एक-दो और सौ नहीं बल्कि दमोह जिले के हजारों-हजार परिवारों की कहानी है। यह कहानी उनकी है जिनके जीवन को कुएं की गहराईयों ने प्रगति की ऊँचाईयां दी हैं। यह बदलाव राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम मध्यप्रदेश की उपयोजना कपिलधारा के कारण आ रहा है। कपिलधारा योजना को इस जिले में जिला प्रशासन ने अभियान का रूप जो दिया है। नतीजतन जिले में ऐसे ढाई एकड़ या उससे ज्यादा कृषि भूमि वाले अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के किसान तथा गरीबी रेखा सूची में शामिल पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के तकरीबन पाँच हजार किसान परिवारों के लिये यह योजना वरदान बन गई।
जिन किसानों के यहाँ इस योजना के तहत कुएं खोदे जा रहे है उनके संबंध में इतना कहना ही काफी है कि इनकी पीढ़ियां गुजर गई पर ये अपने खेतों में एक कुआं नही खुदवा सके। आगे भी इन किसानों को ऐसी हैसियत की उम्मीद नहीं है कि आगे भी उनकी हैसियत कभी बन सकेगी नहीं बनती की ये कुआं खुदवा सकते थे।
मानपुरा के श्री चम्पू आदिवासी बताते हैं कि साढ़े तीन एकड़ खेती की जमीन है। कुआं नहीं, तो पानी नहीं मजबूरी मे एक डेढ़ क्विंटल गेंहूं पर खेत ठेके से दूसरों को दे देते थे। पर अब कुआं खुद रहा है। अब स्वयं खेती करेंगे और कुए से सिंचाई कर कम से कम 20 क्विंटल उत्पादन लेंगे। आमदनी बीस गुनी बढ़ेगी। एक पंचू रजक है दो भाई है बंटवारा मे ढाई-ढाई एकड़ जमीन मिली। फसल कटाई के बाद सपरिवार रोजी रोटी की तलाश में गांव छोड़कर चले जाते थे। अब गांव नहीं छोड़ने की कसम ले ली है वो इसलिये कि कुएं से पांच एकड़ जमीन अब सिंचित हो जायेगी। कृषक श्री सुन्दर सिंह आदिवासी की खुशी तो देखते ही बनती है, कुएं में इतना पानी आ गया कि ढाई एकड़ में बोये गेंहूं की तीन बार सिंचाई कर चुके हैं। इन्हीं खेतों से पहले ये दो चार क्विंटल उत्पादन लेते थे अब 20-25 क्विंटल गेंहूं हर हाल में प्राप्त कर लेंगे।
ग्राम पंचायत बिल्थरा के धनसिंह गौड़ इतने भाग्यशाली है कि केवल 16 फिट खोदने पर ही कुएं में इतना पानी आया है कि चारों भाईयों की 10 एकड़ जमीन सिंचित होने लगेगी। सरपंच श्री मदन गोपाल तिवारी और सचिव श्री जवाहर सिंह लोधी के लिए तो खुशी का कारण कुछ अलग ही है क्योंकि गर्मियों में गांव में पानी का संकट हो जाता था। अब यहाँ 26 कुएं स्वीकृत हैं 22 कुओं का काम चल रहा है और 18 में पानी निकल आया है।
अनुसूचित जाति वर्ग के 65 वर्षीय हल्के का कहना है कि - ''दूसरों की मजदूरी करते करते हमाये हड़ला निकल आये'' अब नहीं करेंगे ये किसी की मजदूरी। अपना कुआं जो इन्हें मिल गया है।
ये तो कुछ किसानों की ही बात है। जिले में ऐसे पाँच हजार किसानों के कुएं मंजूर हो चुके हैं। कपिलधारा योजना को अमली जामा पहनाकर जिले को पेयजल संकट से अमूमन उबार लिया है। हर जिले की सभी 461 ग्राम पंचायतों के गांवों में जब ये कुएं बनकर तैयार हो जायेंगे तो कम से कम 10 हजार एकड़ जमीन की सिंचाई क्षमता बढ़ जायेगी।

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