आदिवासी शैक्षणिक संस्थाओं के विद्यार्थियों को परीक्षा परिणाम उपरांत मार्गदर्शन
पालकों को भी दिया जाएगा परामर्श
संजय गुप्ता(मांडिल)मुरैना ब्यूरो चीफ 9 जून08/आदिवासी विकास विभाग की शैक्षणिक संस्थाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों को परीक्षा परिणाम उपरांत मार्गदर्शन दिया जायेगा। इसमें तीन स्तर के विद्यार्थियों को मार्गदर्शन देने के साथ ही पालकों को भी परामर्श देने की व्यवस्था की गई हैं। कक्षा दसवीं एवं बारहवीं के परीक्षाफल घोषित होते ही प्रत्येक विद्यार्थी के लिए आगामी बेहतर संभावना से विद्यार्थियों एवं पालकों को अवगत कराने के लिए परामर्श केन्द्र तथा सहयोगी मार्गदर्शक का दायित्व विभागीय विद्यालयों को सौंपा गया है। विद्यालय स्तर पर योग्य शिक्षकों द्वारा विषयवार आगामी अध्ययन-कैरियर की संभावनाओं को ध्यान में रखकर काउन्सलिंग की जाएगी। आयुक्त आदिवासी विकास श्री जयदीप गोविंद ने इस संबंध में सभी संभागीय उपायुक्त तथा सहायक आयुक्त एवं जिला संयोजक आदिवासी विकास को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये हैं।
पोस्ट रिजल्ट काउन्सलिंग के आयोजन का उद्देश्य परीक्षा परिणाम के पश्चात विद्यार्थियों के सामाने उत्पन्न होने वाले सभी प्रश्नों का समाधान करना है। साथ ही अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों द्वारा संबंधित विषय में अध्ययन की निरंतरता अथवा विषय परिवर्तन तथा पूरक श्रेणी के विद्यार्थियों को सफल होने के लिए काउन्सलिंग दिया जाना है। इसके लिए विद्यालय स्तर पर मार्कशीट का वितरण निर्धारित तिथि पर करने को कहा गया है, जिससे सभी विद्यार्थी एक साथ उपस्थित हो सकें। विद्यार्थियों के साथ उनके पालकों को भी आमंत्रित करने को कहा गया है। आदर्श आवासीय विद्यालय, एकलव्य आदर्श विद्यालय एवं उत्कृष्ट विद्यालयों मे काउन्सलिंग के लिए प्रतिदिन निर्धारित अवधि में विद्यालय में प्राचार्यों को उपस्थित रहने तथा विद्यार्थियों एवं पालकों को परीक्षा परिणाम के पश्चात काउसलिंग प्राचार्यों द्वारा स्वयं करने को कहा गया है।
विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए जिन तीन स्तरों पर काउसलिंग की जाएगी उनमें परीक्षा परिणामों मेंर् उत्तीण विद्यार्थी, पूरक श्रेणी प्राप्त विद्यार्थी तथा परीक्षा परिणामों में अनुत्तीर्ण विद्यार्थी शामिल हैं। कक्षा दसवीं उत्तीर्ण करने के पश्चात विद्यार्थी एवं अभिभावक के कक्षा ग्यारहवीं में कौन सा विषय अनुकूल अथवा नहीं होगा इसका आकंलन कर आगामी विषय चयन के लिए मार्गदर्शन भी दिया जाएगा। इसके तहत विद्यार्थी की शारीरिक एवं मानसिक क्षमताएं, भावनात्मक लक्षण, विद्यार्थी का रूझान तथा विगत परीक्षा में विद्यार्थी की उपलब्धियां शामिल हैं।
इसी प्रकार विद्यार्थी की क्षमताओं का आकंलन कर पालकों को भी समझाइश दी जाएगी। विद्यार्थी में स्व-अनुशासन, स्व-निर्देशन, आत्मविश्वास की भावना विकसित करने, विद्यार्थियों के लिए प्राथमिकताओं का निर्धारण, पालकों की कठिनाईयों का आकंलन तथा निराकरण के लिए उचित परामर्श दिया जाएगा। यदि विद्यार्थी द्वारा परीक्षा में पर्याप्त सफलता प्राप्त नहीं की जा सकी है तो भी पालक द्वारा प्रोत्साहित करते हुये सहयोगी व्यवहार करने, विद्यार्थी के असफलता से पालक न घबराएं तथा सहयोगी बनें इसका मार्गदर्शन भी दिया जाएगा।
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