बुधवार, 11 जून 2008

बालाघाट में सी.डी. से सिंघाड़े की खेती की विधि बताई गई

बालाघाट में सी.डी. से सिंघाड़े की खेती की विधि बताई गई
संजय गुप्‍ता(मांडिल) मुरैना ब्‍यूरो चीफ 11जून08/बालाघाट में कृषि विज्ञान केन्द्र बड़गांव द्वारा गत दिवस लालबर्रा विकासखंड के ग्राम बोरी में किसानो के लिए सिंघाड़ा उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 80 किसानो ने सिंघाड़ा की खेती करने के विभिन्न पहलुओं की जानकारी ली। यह प्रशिक्षण जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय जबलपुर के कीट शास्त्र विभाग के प्रोफेसर डा. एच. एस. यादव द्वारा दिया गया।
प्रशिक्षण के दौरान किसानो को अधिक उत्पादन देने वाली सिंघाड़ा की किस्मे, उसमें लगने वाले कीड़ो लाल गुलरा, लाल गुलरी तथा उनके नियंत्रण के उपाय बतायें। उन्होंने खरपतवार नियंत्रण, तालाबों की सफाई आदि के बारे में जानकारी देने के साथ ही सिंघाड़ा उत्पादन में आने वाली अन्य समस्याओं के बारे में बताया तथा किसानो की जिज्ञासाओं व प्रश्नों का समाधान किया गया। वर्षा ऋतु में पानी भराव वाले खेतो जिनमें 3 फीट पानी रहता हो उनमें सिंघाडा की खेती करने की सलाह दी गई। लगभग दो हैक्टेयर रकबे में सिंघाडे की खेती से डेढ लाख रूपये की आमदनी होती है। जबलपुर जिले के सफल कृषक सिंघाडे की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे है।
प्रशिक्षण के दौरान किसानो को सीडी के द्वारा सिंघाडा की विभिन्न किस्में, कीट, बीमारियां तथा उत्पादन के आरंभ से उपज प्राप्ति तक की कार्य विधियों का प्रदर्शन किया गया। संस्था के वैज्ञानिक ने बताया कि सिंघाडा की खेती करने के इच्छुक किसानो को बैंक द्वारा ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है। सिंघाडा कृषक क्लब बनाकर किसानो को भ्रमण के लिए जबलपुर ले जाया जा सकता है।
प्रशिक्षण के उपरान्त वैज्ञानिको द्वारा सिंघाड़ा उत्पादन करने वाले तालाबों का भ्रमण किया गया। इस दौरान उन्होने किसानो को कीट नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटोफास 2 मिली लीटर प्रति लिटर पानी के घोल के साथ छिंड़काव करने की सलाह दी। उन्होने खरपतवार नियंत्रण, तालाबों की सफाई व गहरीकरण का सुझाव दिया।

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