शुक्रवार, 14 मार्च 2008

मध्यप्रदेश में आदिवासी बच्चों के लिये रंग शिविरों का आयोजन

मध्यप्रदेश में आदिवासी बच्चों के लिये रंग शिविरों का आयोजन
1200 से अधिक बच्चों की भागीदारी
14 मार्च08/उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी द्वारा 'बाल रंगमण्डल' के तत्वावधान में प्रदेश के पन्द्रह जिलों में आदिवासी बच्चों के लिये रंग शिविर पिछले दिनों आयोजित किये गये। प्रदेश के वरिष्ठ और अनुभवी नाटयकर्मियों-निर्देशकों और कलाकारों ने कार्यशालाएँ आयोजित कर रंगकर्म के प्रति रूझान रखने वाले बाल कलाकारों को प्रशिक्षित करने का काम किया। प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने एक कृति का चुनाव किया जिस पर अभ्यास उपरान्त कार्यशाला सम्पन्न होने पर बच्चों के माध्यम से उनका प्रदर्शन भी कराया गया।
बाल रंगमण्डल द्वारा ये शिविर 1 नवम्बर, 07 से 20 फरवरी, 08 के बीच कटनी, इन्दौर, सतना, पन्ना, रीवा, उज्जैन, सीधी, दमोह, जबलपुर, भोपाल, ग्वालियर, खरगोन, छिन्दवाड़ा, झाबुआ और खण्डवा जिलों में आयोजित किए गये। इन शिविरों में पन्द्रह जिलों के लगभग 1200 प्रतिभागी कलाकारों ने भाग लिया, बच्चों और विशेषकर प्रशिक्षण प्रदान करने वाले रंगकर्मियों के लिये यह अनुभव अनूठा रहा जिसमें यह बात देखी गयी कि भाग लेने वाले बाल कलाकारो ने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने रचनात्मक आयाम के विस्तार में रूचि ली। इस कार्य में उनके अभिभावकों ने भी उत्साह दिखाया और बच्चों को प्रोत्साहित किया। इस कार्य के लिए बाल रंगमण्डल ने जिन कलाकारों को बच्चों के मार्गदर्शन के लिए चुना उनमें सर्वश्री सादात भारती, इदरीस खत्री, आनंद प्रकाश मिश्र, फैज मोहम्मद, चन्द्रशेखर पाण्डे, राजेन्द्र चावड़ा, नीरज इन्द्रावती कुन्दरे, राजीव अयाची, अजय सिन्हा, अशोक आनंद, गौतम मालवीय, विनोद विश्वकर्मा, शरद शबल, विजय सोनी एवं सरोज शर्मा प्रमुख थे।
इस कार्यशाला के अच्छे परिणाम सामने आये। कटनी में रेखा जैन लिखित 'अनोखा वरदान', इन्दौर में कृष्ण चन्दर लिखित 'गङ्ढा', सतना में अलखनन्दन लिखित 'नारद जी फँसे चकल्लस में', पन्ना में फैज मोहम्मद लिखित 'दंगल', रीवा में अलखनन्दन लिखित 'जादू का सूट', उज्जैन में राजेन्द्र चावड़ा लिखित 'चन्द्रशेखर आजाद', सीधी में संजय मेहता लिखित 'मक्खीचूस', दमोह में राजीव आयाची लिखित 'पन्नी वाले बच्चे हम', जबलपुर में अलखनन्दन लिखित 'बुध्दि बहादुर', भोपाल में बालेन्द्र सिंह लिखित 'एक जतन' और ग्वालियर में प्रशान्त चटर्जी लिखित 'घमण्डी राजा', खरगोन में गौतम मालवीय लिखित 'हमू काजे काई समझ', छिन्दवाड़ा में विनोद विश्वकर्मा लिखित 'एक राजा की सुन लो कहानी' और झाबुआ तथा खण्डवा में अभिरंजन कृति 'खेल-खेल में' तथा 'चेहरे' नाटयों का मंचन हुआ। बाल रंगमण्डल के ये प्रयास ऐसे थे कि इनका उपस्थितजनों ने स्वागत भी किया और कलाकारों में रचनात्क सम्भावनाएँ देखकर उत्साहवर्धन भी किया।
छिन्दवाड़ा में तैयार हुए नाटक 'एक राजा की सुन लो कहानी' नाटक के कलाकार पातालकोट अंचल से थे। पातालकोट आदिवासी बाहुल है। विनोद विश्वकर्मा लिखित व निर्देशित इस कृति को देखकर परासिया के विधायक श्री ताराचन्द्र बावरिया ने बाल कलाकारों को पुरस्कृत भी किया।
बाल रंगमण्डल के इस प्रकल्प में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बच्चों में यह उत्साह भी बना हुआ है कि वे परीक्षा के पश्चात् फिर ग्रीष्म अवकाश में अपनी इस रचनात्मक प्रतिभा को विस्तार देने के लिए जुटेंगे। 'बाल रंगमण्डल' संस्कृति विभाग के अंतर्गत संचालित उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी का एक प्रभाग है।

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