शहरी नागरिकों को बेहतर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं
प्रमुख सचिव श्री चन्द्रा द्वारा निगमायुक्तों को निर्देश जारी
प्रदेश के शहरों में रहने वाले नागरिकों को समुचित रूप से मूलभूत सुविधाओं का लाभ मिल सके इसके लिए प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन एवं विकास, श्री राघवचन्द्रा ने सभी आयुक्तों को निर्देश जारी किए हैं। श्री चन्द्रा ने सभी निगमायुक्तों के भेजे परिपत्र में साफ-सफाई, भवनों के संधारण, शौचालयों-मूत्रालयों की व्यवस्था, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, खाद्य पदार्थों की जांच, जलापूर्ति, प्रकाश प्रबंधन आदि के संबंध में विस्तृत निर्देश जारी किए हैं।
श्री राघव चन्द्रा ने कहा है कि निकायों में बेहतर प्रशासनिक प्रबंधन और निकायों से अपेक्षित दायित्वों का निर्वहन समुचित रूप से हो सके इस उद्देश्य से ये निर्देश प्रसारित किए जा रहे हैं। निर्देशों में कहा गया है कि नगर पालिका क्षेत्र की नालियों की नियमित सफाई करवाई जाये। विशेष रूप से सार्वजनिक महत्व के स्थलों, रेल्वे स्टेशन, बस अड्डा, धार्मिक स्थलों, पर्यटन महत्व के स्थलों के आसपास नाली का पानी सड़कों पर न बहे, इसका समुचित ध्यान रखा जाये। पुल और पुलियों के नीचे एकत्रित कचरे को नियमित रूप से हटाया जाये। बरसात के पूर्व शहर के बड़े नालों की सफाई अवश्य करायी जाये एवं जहां आवश्यक हो, नाले पर बने अतिक्रमण को जिला प्रशासन के सहयोग से हटाया जाये ताकि बरसात में कृत्रिम बाढ़ के कारण जन-धन की हानि रोकी जा सके।
निकाय के स्वामित्व के सार्वजनिक भवनों की दीवारों पर किसी भी प्रकार के पोस्टर#विज्ञापन आदि न चिपकाए जाएं एवं न ही कोई नारा लिखा जाये। आवश्यक होने पर सार्वजनिक भवनों के बाहर नोटिस बोर्ड या होर्डिंग्स का उपयोग किया जाये। भवनों के रख-रखाव हेतु विशेष रुचि लेकर समय-समय पर निरीक्षण कराया जाकर आवश्यकतानुसार रिपेयरिंग एवं रंग-रोगन का कार्य कराया जाये। नगरीय निकायों के भवनों व कार्यालयों में विद्युत फिटिंग और बोर्ड अस्थायी स्वरूप से लटके मिलते हैं जिनसे कार्यालय की छवि पर बेहद विपरीत प्रभाव पड़ता है। पंखे की धूल काफी समय से साफ नहीं होती है। सुनिश्चित किया जाये कि प्रत्येक विद्युत कनेक्शन सुव्यवस्थित फिटिंग के साथ चालू हालत में रहे ताकि शार्ट सर्किट से आग लगने जैसी घटनाओं की संभावना को टाला जा सके।
सार्वजनिक शौचालयों एवं मूत्रालयों की सफाई नियमित रूप से दिन में दो बार की जाकर फिनाइल एवं दुर्गन्ध नाशक रसायन का छिड़काव किया जाना सुनिश्चित किया जाये। शुष्क शौचालयों की सतत जांच की जाकर उन्हें विनष्ट करने की कार्यवाही तथा बार-बार बाधा पहुंचाने वालों को सक्षम न्यायालय में दंडित कराने की कार्यवाही की जाये एवं बस्तियों में 'भुगतान और उपयोग करें' आधार पर सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया जाये अर्थात सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण सुधार तथा उनका निजी भागीदारी से संचालन कराया जाये।
कूड़ा-करकट एवं कचरा जैसे ठोस अपशिष्टों के ढेरों का उपयुक्त समेकित उपचार किया जाये। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या के निराकरण हेतु लैण्डफिल साईट की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये एवं जैविक तथा अजैविक अपशिष्ट के पृथक्कीकरण की कार्यवाही की जाये। रैगपिकर तथा पन्नी उठाने वालों को संगठित कर उनकी संस्था का पंजीयन करवा कर पुनर्चक्रण योग्य पदार्थों को अलग करने तथा उपयोग की कार्य योजना को मूर्त रूप दिया जाये।
सड़े-गले फलों व सब्जियों एवं होटलों में बिकने वाले अमानक खाद्य पदार्थों की जांच नियमित रूप से की जाये। यातायात में बाधक तथा दुर्घटनाओं का कारण बनने वाले नगर में घूमने वाले आवारा पशुओं की धरपकड़ के मामले में तत्काल योजनाबध्द तरीके से प्रभावी कार्यवाही की जाये। शहर के पार्कों के अलावा शहरी क्षेत्रों में वृक्षों को सजावट हेतु आकार#स्वरूप दिया जाये ताकि शहर की सुन्दरता नष्ट न हो।
पेयजल व्यवस्था के लिए भी विस्तृत निर्देश जारी किए गये हैं। तदनुसार प्रत्येक वर्ष कम से कम दो माह मई एवं जून में बस स्टैण्ड बाजार, पार्क, अनुसूचित जाति#अनुसूचित जनजाति बाहुल्य बस्तियों में नि:शुल्क प्याऊ की व्यवस्था की जाये। इस हेतु क्लोरीनयुक्त शुध्द जल का ही उपयोग किया जाये। जल प्रदाय व्यवस्था के संधारण से संबंधित सामग्री भंडार में उपलब्ध रखी जाये ताकि आवश्यकता पड़ने पर काम आ सके एवं जलापूर्ति बाघित न हो। जल प्रदाय व्यवस्था में अंतिम छोर के उपभोक्ताओं तक जल में शेष क्लोरीन की निर्धारित मात्रा दो पी.एम. सुनिश्चित करें। पानी की शुध्दता की निरंतर जांच करें। जलप्रदाय केन्द्रों में विद्युत कैपेसिटर लगाया जाए। पाईप लाइनों का संधारण हो और लीकेज तुरंत सुधारे जाएं।
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