शनिवार, 1 मार्च 2008

महंगाई कम करने के लिये केन्द्रीय बजट में कोई ठोस उपाय नहीं

महंगाई कम करने के लिये केन्द्रीय बजट में कोई ठोस उपाय नहीं
वित्त मंत्री श्री राघवजी की प्रतिक्रिया
वित्त मंत्री श्री राघवजी ने आज लोक सभा में प्रस्तुत केन्द्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इसमें आसमान छूती महंगाई को रोकने तथा गेहूँ, चावल, दाल, गुड़, शक्कर, तेल और रसोई गैस जैसी जीवनोपयोगी वस्तुओं के दाम करने की दिशा में कोई उपाय नहीं किये गये हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस बजट में मध्यप्रदेश के लिए जो अपेक्षा की जा रही थी उसका कोई प्रावधान नजर नहीं आ रहा है। भोपाल में एम्स की स्थापना के लिए वर्ष 2008-09 में किसी प्रावधान का उल्लेख नहीं है। इसी प्रकार बुन्देलखण्ड क्षेत्र में अभूतपूर्व सूखे से निपटने के लिए कोई सहायता#अनुदान का प्रावधान जो अपेक्षित था वह इस बजट में नहीं है। अल्पसंख्यकों के लिए अलग से सहायता राशि वृध्दि की जहां व्यवस्था की गई है वहीं आदिवासी क्षेत्रों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। बैकवर्ड रीजन ग्रांट फण्ड में इस बजट में प्रदान की जाने वाली राशि में कोई वृध्दि नहीं हुई है, जो होना चाहिए थी। किसानों को कर्ज पर ब्याज की राशि सात प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत या इससे कम करने के संबंध में बजट में कोई व्यवस्था नहीं है जबकि हमने बजट में इसे पांच प्रतिशत की है। रासायनिक खाद की गत वर्ष की व्यवस्था को आगे ही बढ़ाया है। इससे उर्वरक कम्पनियों के अपने उत्पादन घटाये जाने की संभावना है जिससे किसानों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। किसान के कर्ज माफ करने की घोषणा तो है किन्तु वह पूरी तरह से अस्पष्ट है जबकि केन्द्र सरकार को यह स्पष्ट घोषणा करना चाहिए थी कि इस कर्ज माफी का भार केन्द्र सरकार वहन करेगी अथवा राज्य सरकारों से अंशदान नहीं मांगा जायेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस बजट में साम्प्रदायिक आधार पर बैंकों की शाखाओं के विस्तार का उल्लेख है किन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बैंक के विस्तार की आवश्यकता है उसका कोई उल्लेख नहीं है, वह अपेक्षित ही रहेगा। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए वेतन में जो वृध्दि बजट में की गई है वह राज्य सरकार द्वारा की गई वृध्दि से भी काफी कम है।
वित्त मंत्री ने कहा कि महिलाओं के स्व-सहायता समूह को जनश्री बीमा योजना की सुविधा दिये जाने का उल्लेख है परन्तु अंशदान के भुगतान के बारे में बजट में उल्लेख नहीं है।
वित्त मंत्री ने कहा कि पर्यटक स्थलों पर होटल खोलने के कार्यों में जिले की सीमा के अंतर्गत छूट दी है वह स्वागत योग्य है किन्तु जिले के स्थान पर पर्यटक स्थल से दूरी का मापदण्ड होना चाहिये था।
वित्त मंत्री ने कहा कि गत वर्ष के बजट भाषण में केन्द्रीय वित्त मंत्री ने वित्तीय समावेश के लिए तीन सौ करोड़ रुपये के कोष गठन की घोषणा की थी किन्तु इसके लिए कोई कोष अभी तक गठित नहीं हुआ है। वर्ष 2008-09 के बजट में भी कोई उल्लेख नहीं है।
वित्त मंत्री ने कहा कि भोपाल में इंडियन इन्स्टीटयूट ऑफ साइंस तथा स्कूल ऑफ प्लानिंग एण्ड आर्किटेक्चर की स्थापना का स्वागत है।
वित्त मंत्री ने कहा कि यह भी खेद का विषय है कि नेशनल हाइवे के नये मार्गों के विस्तार के लिए किसी प्रावधान का जिक्र बजट में नहीं है जबकि सिंचाई के लिए एआईबीपी के लिए राशि को दोगुना करने के प्रावधान का स्वागत है। बिजली के लिए 800 करोड़ के फण्ड का प्रावधान अत्यंत अल्प है। इससे किसी राज्य को कोई विशेष मदद नहीं मिलेगी। एडीआरपी कार्यक्रम के लिए मध्यप्रदेश को प्राप्त होने वाली राशि 182 करोड़ रुपये अभी भी केन्द्र सरकार द्वारा जारी किया जाना बाकी है।

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